जानिए, भुजंगासन करने के अद्भुत फायदे , पेट, कमर, कन्धे और गले के सभी रोगों का काल है ये आसन


Bhujangasana ke labh

भुजंगासन करने की सही विधि, लाभ और सावधानियां -

नमस्कार दोस्तों... स्वागत है आपका औषधि और योग में। दोस्तों आज हम विस्तार पूर्वक जानेंगे भुजंगासन के बारे में।
दोस्तों जब तक हमें इन आसनों की करने की सही विधि ना पता हो तब तक हमें इनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता और तो और कई बार कुछ नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसलिए बिना पूरी जानकारी के, हमें कोई भी आसन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

भुजंगासन का परिचय :

दोस्तों भुजंग का अर्थ होता है सर्प (snake) इसलिए अंग्रेजी में इस आसन को (Cobra Pose)भी कहा जाता है।
दोस्तों इस आसन को करने के लिए हमें अपने शरीर को फन उठाए हुए सर्प के आकार में लाने का प्रयास करना होता है।

भुजंगासन करने की विधि :

  1. सबसे पहले मैट पर पेट के बल लेट जाएं और पैर की एड़ियों को जमीन से सटाकर रखें।
  2. अब हथेलियों को कोहनी के पास लेकर थोड़ी सांस खींचते हुए जमीन पर दबाव डालते हुए ऊपर की ओर जाए।
  3. ध्यान रहे ऊपर की ओर धीरे-धीरे जाएं और रीढ़ की हड्डी को जितना हो सके पीछे की ओर मोड़ें।
  4. अब थोड़ी देर सांस को रोके रखें और जितनी देर संभव हो इस अवस्था को बनाए रखें।
  5. अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में लौट आए और  मैट पर सीधे लेट जाएं।
  6. 10 से 20 सेकंड आराम करें और पुनः इस आसन को दोहराने का प्रयास करें।
दोस्तों प्रारम्भ में भुजंगासन के 3  से 5  चक्र पर्याप्त होते हैं। अभ्यास हो जाने पर आप चक्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं।

भुजंगासन करने के लाभ :

  1. भुजंग आसन करने से रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन आता है।
  2. इस आसन को करने से पेट संबंधी सभी विकार दूर होते हैं और साथ ही साथ पेट के आंतरिक अंगों को भी बल मिलता है।
  3. इस आसन को करने से मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है जिससे शरीर का वजन कम करने में सहायता मिलती है।
  4. इस आसन को करने से पाचन तंत्र, मूत्रमार्ग, जननांगों की नाड़ियों को बल मिलता है व यौन शक्ति में वृद्धि होती हैं।
  5. भुजंगासन करने से फेफड़े व सीने की मांसपेशियां मजबूत होती है।
  6. इस आसन को करने से मानसिक तनाव और  डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है।
  7. भुजंगासन करने से अस्थमा व साइटिका जैसी बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
  8. गले के विकार जैसे -थायराइड में विकार  की समस्या समाप्त हो जाती है।

सावधानियाँ :

  1. यह आसन सदैव खाली पेट करना चाहिए।
  2. हर्निया, carpal syndrome, पीठ में चोट, सिरदर्द व जिनके पेट का ऑपरेशन हुआ है ऐसी परेशानी से जूझ रहे व्यक्तियों को यह आसन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  3. भुजंगासन हमेशा साफ-सुथरे वा हवादार वातावरण में किया जाना चाहिए।

                                                  

Disclaimer: कोई भी आसन बिना उचित परामर्श के नहीं करना चाहिए। कोई भी आसन करने से पहले अपने योग गुरु से अवश्य सलाह ले ले। गलत प्रकार से आसन करने से शरीर को क्षति पहुंच सकती है।

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Ashok Kumar

हैलो दोस्तों, मेरा नाम अशोक कुमार है। मैं www.aushadhiauryog.com का फाउंडर हूं। मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले से हूं। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा आपने होम टाउन से ग्रहण की और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद ब्लॉगिंग में करियर की शुरुआत सन 2015 से की है। साथ ही साथ मैं यूट्यूब पर भी विडियोज बनाता हूं। मुझे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान आप सभी के साथ शेयर करना बहुत पसंद है। कृपया आप सभी हमारे परिवार का हिस्सा बनें और औषधि और योग की धरोहर को आगे बढ़ाने में हमारा सहयोग करें। धन्यवाद।

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