जटामासी के फायदे, नुकसान, सही सेवन विधि और सावधानियां- jatamansi ke fayde aur nuksan in hindi

jatamasi ke fayde


जटामांसी सहपुष्पी औषधि पौधा है। इसकी महक अत्यंत तीव्र होती है इसलिए इसका प्रयोग इत्र बनाने में भी किया जाता है। इसके जड़ों में जटा या बाल जैसे तंतु लगे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जटामांसी के कई फायदे होते हैं । आयुर्वेद में इसको कई बीमारियों के लिए औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। आइए जानते हैं जटामांसी के फायदे और उनके गुणों के बारे में-


जानिए जटामांसी क्या है

जटामांसी एक सुगंधित शाक होता है। 2 प्रजातियां होती है । गंधमंसी तथा अकशमांसी होती हैं चरक सहिंता में धूपन द्रवो में जटामांसी का उल्लेख मिलता है! इसका प्रयोग कई बीमारियों में होता हैं। सांस, खांसी, विष संबंधी बीमारी उन्माद या पागलपन अपस्मार मिर्गी वातरक्त या सूजन आदि। सिर दर्द के लिए जटामांसी एक उत्कृष्ट औषधि हैं। यह बहुत ही स्वास्थप्रद होता है।

यह 10-60 सेमी ऊंचा सीधा बहुतवर्षिय शकील पौधा होता है। इसके तने का ऊंचा भाग मे रोम वाला तथा आधा भाग रोमहीन होता हैं। भूमि के ऊपर से कई शाखाएं निकलती हैं। जो 6-7 अंगुल तक सघन बारीक जटाकार रोमयुक्त होती हैं।


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जटामासी का प्राप्ति स्थान

जटामांसी 3000-5000 मी की ऊंचाई पर हिमालय के जंगलों में उत्तराखंड से सिक्किम तक तथा नेपाल एवं भूटान में भी पाया जाता है।


जटामासी के औषधीय घटक और विभिन्न रोगों में लाभ

जटामांसी का पौधा बहुवर्षिय होता है । जिसका आयुर्वेद में बरसों से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। जटामांसी प्राकृतिक से कड़वा ,मधुर , शीत, लघु, वात, पित्त और कफ को हराने वाला शक्ति वर्धक त्वचा को क्रांति प्रदान करने वाला तथा सुगंधित होता है। यह् जलन रक्तपित्त (नाक, कान , खून बहना, विष, बुखार दर्द, गाठिया या जोड़ो में दर्द) मैं फायदेमंद होता है। जटामांसी का तेल केंद्रीय तंत्र और अवसाद पर प्रभारी होता है।


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जटामांसी एक सुगंधित शाक होता है! 2 प्रजातियां होती है ! गंधमंसी तथा अकशमांसी होती हैं चरक सहिंता में धूपन द्रवो में जटामांसी का उल्लेख मिलता है! इसका प्रयोग कई बीमारियों में होता हैं! सांस, खांसी, विष संबंधी बीमारी उन्माद या पागलपन अपस्मार मिर्गी वातरक्त या सूजन आदि। सिर दर्द के लिए जटामांसी एक उत्कृष्ट औषधि हैं! यह बहुत ही स्वास्थप्रद होता है!


जटामासी के पौधे की विशेषता

यह 10-60 सेमी ऊंचा सीधा बहुतवर्षिय शकील पौधा होता है। इसके तने का ऊंचा भाग मे रोम वाला तथा आधा भाग रोमहीन होता हैं। भूमि के ऊपर से कई शाखाएं निकलती हैं। जो 6-7 अंगुल तक सघन बारीक जटाकार रोमयुक्त होती हैं।



इसके आधरीयॅ पत्ता सरल पूर्ण 15-20 सेमी लम्बे 2.5 सेमी चौड़े अरोमिल होते है तने के पत्ते का एक या दो जोड़े 2.5-7.5 सेमी लम्बे आयताकार के होता है। इसके पुष्प 1.3 या 5 गुलाबी व नीले रंग होते है। इसके फल 4 मिमी छोटे छोटे गोलाकार सफेद रोम से आविरित होते भाई। इसका पुष्प काल एवं फल का अगस्त से नवंबर तक होता है।


जटामांसी के फायदे

आयुर्वेद में जटामांसी जड़ी बूटी की औषधि के रूप में वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। बाजार में यह तेल जड़ और पाउडर के रूप में पाया जाता है। तो चलिए जटामांसी के बारे में विस्तार से जानते हैं। यह किन किन बीमारियों के लिए उपचार के रूप में प्रयोग किया जाता है।


गंजेपन और सफेद बालों के लिए फायदेमंद जटामांसी

आजकल बालों की ऐसी समस्या आम हो गई है प्रदूषण असंतुलित आहार योजना तरह-तरह के कॉस्मेटिक के इस्तेमाल का सीधा प्रभाव बालों पर पड़ता है। और फिर सफेद बाल या गंजेपन की समस्या से लड़ना पड़ता है। इसके लिए घरेलू उपाय के तौर पर समान मात्रा में जटामासी बला कमल तथा कूठ को पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का गिरना कम हो जाता है । और असमय बालों का सफेद होना भी कम हो जाता है।


सिर दर्द से दिलाए राहत जटामांसी

अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिर दर्द की स शिकायत रहती है। तो बस जटामांसी बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। जटामांसी को पीसकर इसके पाउडर को मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द कम होता है।


हृदय रोग के खतरे को करे कम जटामांसी

जटामांसी को पीसकर छाती पर लेप करने से छाती की होने वाली समस्याओं या बीमारियों और हृदय रोगों से राहत मिलती है।


खून साफ करने में जटामांसी के फायदे

जटामांसी औषधि गुण खून को साफ करने त्वचा संबंधी बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करती है । जटामांसी के 10-15 मिली शीत कषाय में शहद मिलाकर पिलाने से खून साफ होता है।


दाग धब्बे झाइयां और चेहरे की रौनक लौटाने में जटामांसी के फायदे

अगर चेहरे के दाग धब्बे झाइयों से परेशान है तो जटामांसी का प्रयोग लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। जटामांसी में हल्दी मिलाकर उबटन की तरह चेहरे पर लगाने से व्यंग तथा झाई मिटती हैं । और त्वचा की कांति बढ़ती है।


जटामांसी का उपयोग भाग

आयुर्वेद में जटामांसी की जड़ का प्रयोग औषधि के रूप में सबसे ज्यादा किया जाता है।


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जटामांसी का सेवन ज्यादा करने के साइड इफेक्ट

जटामांसी का अधिक मात्रा में प्रयोग और सेवन घातक होता है। यह नसों को नरम और कमजोर करती है। और उससे संबंधी बीमारियों को आमंत्रित करती हैं।


यहां दी गई समस्त जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है । इलाज के तौर पर इसका प्रयोग करने से पहले एक अच्छे चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लें। धन्यवाद।


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Ashok Kumar

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