लिपोमा, ट्यूमर, खून की खराबी जैसी 100 बीमारियों का काल है कचनार-kachnar khane ke fayde

kachnar ke fayde aur nuksan


आयुर्वेद में वर्णित कचनार एक अत्यंत गुणकारी एवं औषधीय वृक्ष है। यह शरीर के लगभग 100 रोगों का नाश करता है।

दुनियाभर में हुए विभिन्न शोधों के अनुसार कचनार में वात पित्त कफ आदि को संतुलन करने के साथ-साथ सामक गुण भी पाए जाते हैं।



यह एक रक्तशोधक, सूजन रोधक, कृमि नाशक एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले तत्वों से भरपूर औषधि है। यही कारण है कि कचनार का प्रयोग कई प्रकार के लिपोमा और ट्यूमर के इलाज में भी किया जाता है।

आइए जानते हैं बिंदुवार क्रम से कचनार किन किन रोगों में लाभ पहुंचाता है (kachnar ke fayde) –


लाइपोमा के इलाज में कचनार का प्रयोग

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में किसी भी भाग में यदि अनचाही गांठ हो गई हैं तो उनका इलाज करने के लिए कचनार एक सफल औषधि मानी गई है। इनका इलाज करने के लिए चिकित्सक के अनुसार 5 से 50 ग्राम मात्रा में कचनार की छाल का चूर्ण लेकर 200ml पानी में काढ़ा बनाकर प्रयोग करना चाहिए।

इस नुस्खे का प्रयोग कम से कम 3 माह अवश्य करना चाहिए। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार आप इस प्रयोग को आगे भी बढ़ा सकते हैं।

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कब्ज के इलाज में कचनार का प्रयोग

अक्सर लोगों को गलत खानपान की वजह से कब्ज की शिकायत बनी रहती है। कब्ज को दूर करने के लिए कचनार की चाय पीने की सलाह दी जाती है।



खून की खराबी में कचनार का प्रयोग

कचनार का प्रयोग करके खून की खराबी को भी दूर किया जा सकता है। खून की खराबी के कारण अक्सर चेहरे पर दाग, धब्बे, फोड़े, फुंसियां आदि निकल आते हैं।

कचनार का संतुलित मात्रा में सेवन करने से खून की खराबी दूर होती है और त्वचा की हर समस्या का निदान होता है।

दाग धब्बे फोड़े फुंसी को ठीक करने के लिए कचनार की छाल को पीसकर इसका लेप भी त्वचा पर लगाया जाता है।

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मुंह के छालों में कचनार का प्रयोग

यदि मुंह में छाले हो गए हैं तो कचनार का प्रयोग करके इन्हें ठीक किया जा सकता है। मुंह के छालों को ठीक करने के लिए कचनार की चाय का कुल्ला और गरारा करना चाहिए। 1 सप्ताह तक ऐसा करने से मुंह के सभी प्रकार के छाले ठीक हो जाते हैं।


सफेद पेचिश में कचनार का प्रयोग

जिन व्यक्तियों को गलत खानपान की वजह से कोलाइटिस या पेचिश जैसी बीमारी हो जाती है उन्हें कचनार का सेवन करना चाहिए। कचनार के सेवन करने से आमवात और मल में चिकनाई की समस्या दूर हो जाती है।



पेट के कीड़े समाप्त करने के लिए कचनार का प्रयोग

अक्सर बच्चों में यह देखा गया है कि ज्यादा मीठा खाने की वजह से उनके पेट में कीड़े पड़ जाते हैं। कई बार बड़ों में भी पेट के कीड़े की समस्या देखने को मिलती है।

पेट के कीड़े की समस्या को दूर करने के लिए कचनार [kachnar] की फलियों का सेवन किया जाता है। कचनार की फलियों की सब्जी बनाकर यदि प्रयोग किया जाए तो यार पेट के हर बीमारी को दूर करता है।

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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कचनार का प्रयोग

कचनार औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ लगभग हर प्रकार के खनिज तत्वों का भंडार होता है। कचनार में anti-inflammatory, antioxidant गुण पाए जाते हैं।

यही कारण है कि कचनार का सेवन शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है।


दाद, खाज, खुजली व एक्जिमा दूर करने के लिए कचनार का प्रयोग

खून की खराबी, फ्री रेडिकल्स तथा शरीर में विषैले पदार्थों का प्रवेश होने से दाद खाज खुजली और एक्जिमा की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

इस समस्या को दूर करने के लिए कचनार का सेवन करना उत्तम माना गया है। कचनार “kachnar” की छाल को विश कर यदि इसका लेप दाद खाज खुजली पर किया जाता है तो यह समस्या जल्द दूर हो जाती है।

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बवासीर में कचनार का प्रयोग

पेट में लंबे समय से कब्ज की समस्या बने रहने के कारण बवासीर की समस्या पैदा हो जाना आम बात है। बवासीर की समस्या होने से गैस की समस्या पैदा हो जाती है।

पेट में गैस की समस्या होने से पाचन अग्नि मंद पड़ जाती है। यही कारण है कि रोगी को निरंतर कब्ज बनी रहती है। आगे चलकर यही कब्ज की समस्या बवासीर का रूप धारण कर लेती है।

बवासीर की समस्या को दूर करने के लिए कचनार के चूर्ण का प्रयोग शहद में मिलाकर किया जाता है। इस नुस्खे में एक चौथाई चम्मच कचनार का चूर्ण को लेकर एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए।

कुछ सप्ताह सेवन करने से पेट की गैस और कब्ज की समस्या दूर होती है जिससे बवासीर में अत्यंत लाभ मिलता है।

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गलगंड या घेंघा रोग में कचनार का प्रयोग

कचनार में थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं। यह थायरोक्सिन हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही साथ यह मेटाबॉलिज्म में भी सुधार लाता है।

एक चौथाई चम्मच कचनार का चूर्ण थोड़े-थोड़े पानी है शहद के साथ प्रयोग करने से यह समस्या दूर हो जाती है।



सावधानियां

  1. हृदय रोगी कचनार का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें
  2. कचनार की संतुलित मात्रा प्रयोग करें
  3. कचनार की छाल बहुत अधिक पुरानी या कीड़े लगी हुई नहीं होनी चाहिए
  4. बच्चों को कचनार का सेवन कराने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें
  5. मधुमेह रोगी कचनार का प्रयोग करें से पहले चिकित्सक से परामर्श करें

यहां पर दी गई समस्त जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है इसका इलाज के तौर पर प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें।

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Ashok Kumar

हैलो दोस्तों, मेरा नाम अशोक कुमार है। मैं www.aushadhiauryog.com का फाउंडर हूं। मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले से हूं। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा आपने होम टाउन से ग्रहण की और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद ब्लॉगिंग में करियर की शुरुआत सन 2015 से की है। साथ ही साथ मैं यूट्यूब पर भी विडियोज बनाता हूं। मुझे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान आप सभी के साथ शेयर करना बहुत पसंद है। कृपया आप सभी हमारे परिवार का हिस्सा बनें और औषधि और योग की धरोहर को आगे बढ़ाने में हमारा सहयोग करें। धन्यवाद।

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