शतावरी का परिचय
क्या आपको पता है, की शतावरी क्या है, इसका उपयोग कैसे करें। शतावरी कहां मिलता है। शतावरी का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा। इसलिए बहुत कम लोग ही शतावरी का इस्तेमाल करते होंगे। आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है। आइए जानते हैं, शतावरी के फायदे क्या क्या होते हैं।
शतावरी क्या है?
यह झाड़ीदार तथा इसकी लता फैलने वाली होती है। एक बेल के नीचे कम से कम 100 या इससे अधिक जड़े होती हैं। शतावरी की जड़े 30 से 100 सेमी लंबी एवं 1 से 2 सेमी मोटी होती है। इन जड़ों के बीच कड़ा रेशा होता है। इनकी जड़ें ऊपर भूरे रंग का पतला छिलका रहता है। जो गीली एवं सुखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है। शतावरी दो प्रकार की होती है।
- विरलकंद शतावरी
- कुंटपत्रा शतावरी
शतावरी के फायदे
इस जड़ी बूटी का उपयोग सालों से होता आ रहा है। शतावरी का उपयोग करने के लिए शतावरी आयुर्वेदिक ,गुण, कर्म, उपयोग की मात्रा एवं विधियां इस प्रकार हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में इनके कौन-कौन से फायदे होते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन
जो महिलाएं पेट से हैं उनके लिए शतावरी बहुत ही सिद्ध होती है। गर्भवती महिलाएं शतावरी ,अश्वगंधा ,मुलेठी और भृंगराज को समान मात्रा में लें । और इसका चूर्ण बना लें। इसको 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिए। तथा इससे गर्भाशय शिशु स्वास्थ्य रहता है।
गर्भवती महिलाओं के स्तनों में दूध अधिक बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन
अक्सर देखा जाता है की महिलाओं में मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की समस्या आ जाती है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को 10 ग्राम शतावरी की जड़ को दूध के साथ लेने से दूध की वृद्धि होती है। 1 से 2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है। इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीसकर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।
वीर्य दोष को ठीक करने के लिए शतावरी का सेवन
वीर्य की कमी की समस्या में 5 से 10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए । इससे वीर्य की समस्या में लाभ होगा।
सांसों के रोग में शतावरी से लाभ
शतावरी पेस्ट 1 भाग घी 1 भाग तथा दूध 4 भाग ले । इन्हें घी में पकाएं इसे 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसो से संबंधित रोग रक्त से विकार और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।
सिर दर्द में फ़ायदेमंद शतावरी का उपयोग
अक्सर देखा जाता है कि सिर दर्द की समस्या बच्चों से लेकर बूढों तक पाई जाती है। महिलाओं में अधिक पाई जाती है। किसी भी कामकाजी या चिंता करने से भी सिर दर्द होता है। शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावरी की ताजी जड़ को कूटकर रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिरदर्द पर मालिश करें। इससे सिर दर्द और अधकपारी में आराम मिलता है।
पुरानी पथरी के रोग में शतावरी का प्रयोग
पथरी की समस्या से परेशान मरीज 20 से 30 मिली शतावरी के जड़ से रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पीएं। इससे पुरानी सी पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।
गोनोरिया (सुजाक) में शतावरी से लाभ
सूजाक या गोनोरिया यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली सतावर के रस को 80 मिली दूध में मिलाकर पिए इससे सुजाक में फायदा होता है।
पेचिश में शतावरी का प्रयोग
पाजी सतावर को दूध के साथ झान ले। इसको दिन में तीन से चार बार प्रयोग करने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है। शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।
बुखार में शतावरी से लाभ
शतावरी और गिलोय के बराबर 2 भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिए। इससे बुखार में लाभ होता है। 20 से 40 मिली काढ़ा में दो चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।
शतावरी के उपयोगी भाग
- जड़
- जड़ से तैयार काढ़ा
- पत्ते
- पेस्ट
- चूर्ण
शतावरी का इस्तेमाल कैसे करें
शतावरी का प्रयोग आप इस तरह कर सकते हैं।
- रस 10-20ml
- काढ़ा 50-100ml
- चूर्ण 3-6ml
शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है-
भारत में शतावरी की खेती आनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालिय क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई मैदानी क्षेत्रों और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।
यहां पर दी गई समस्त जानकारी केवल सूचना के लिए है, इलाज के तौर पर इसे प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह ले लें।