अश्विनी मुद्रा करने के फायदे और नुकसान, करने की सही विधि - ashwini mudra karne ki vidhi

योग और प्राणायाम हमारे शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ और संतुलित रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह योगासन और प्राणायाम के अभ्यास का एक हिस्सा है, जो हमें मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति और शारीरिक स्वास्थ्य की प्राप्ति में मदद करता है। इस लेख में हम आपको अश्विनी मुद्रा करने की सही विधि के बारे में बताएंगे।


ashwini mudra karne ki vidhi


अश्विनी मुद्रा का अर्थ होता है "घोड़े की मुद्रा"।  इसे अपनाने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:


सबसे पहले, आराम से सीधे खड़े हो जाएँ और आपकी स्पाइनल को सीधा और संतुलित रखें। अपने आंखें बंद करें और अपनी सांस को सामान्य रखें।


अपने पेट को सुखी रखें और फोकस को अपने मूलाधार चक्र (गुदास्थान) पर ले जाएँ। इसके लिए, आप अपने बंधित गुदा मांस को एक साथ संकोचित करें।


अब आपको अपने गुदा मांस को धीरे-धीरे छोड़ने की अभ्यास करना होगा। इसे करते समय  आपको गुदा मांस को पूरी ताकत के साथ छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए, आप अपने गुदा को एक-दूसरे के बीच में कुछ सेकंड तक संकोचित और छोड़ सकते हैं। यह क्रिया अश्विनी मुद्रा की मुख्यता है।


जब आप अश्विनी मुद्रा का अभ्यास कर रहे हों, तो ध्यान रखें कि आपकी सांस नियमित और सामान्य हो। सांस छोड़ने के बाद, आपको ठीक से खींचने की कोशिश करें।

अश्विनी मुद्रा का अभ्यास आप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सुबह के समय इसे करने से ज्यादा लाभ हो सकता है। यदि संभव हो तो आप इसे खाली पेट करने का प्रयास करें।


आप अश्विनी मुद्रा के अभ्यास को अपने योग और प्राणायाम सत्र के अंत में शामिल कर सकते हैं। यह आपको शांति और संवेदनशीलता की अवस्था में ले जाने में मदद करेगा।


अश्विनी मुद्रा के लाभ:


अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई लाभ हो सकते हैं।

मूलाधार चक्र की संचार को बढ़ाएं:

अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से मूलाधार चक्र की संचार बढ़ती है। इसके परिणामस्वरूप, मूलाधार चक्र के क्षेत्र में प्राणिक ऊर्जा का आदान-प्रदान सुचारू रूप से होता है। यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है।


गुप्तांगों को मजबूत बनाएं:

अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से गुप्तांगों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। यह गुप्तांगों के क्षेत्र में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और सेक्सुअल हेल्थ को सुधारता है।


आंत्र को स्वस्थ रखें: 

अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से पेट के आंत्र की क्रिया को सुधारा जा सकता है। इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है और कब्ज़ से राहत मिलती है।


मूत्र विसर्जन को नियमित करें:

अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद मिलती है। यह पेशाब में देरी और मूत्र मार्ग संबंध


ब्रह्मचर्य को स्थायी करें: 

अश्विनी मुद्रा का नियमित अभ्यास आपको ब्रह्मचर्य को स्थायी बनाने में मदद कर सकता है। इस मुद्रा के अभ्यास से आपकी सेक्सुअल ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है और विषयी इच्छाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह आपको ब्रह्मचर्य की प्राप्ति में मदद करता है।


मस्तिष्क को शांत करें:

अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से मस्तिष्क की स्थिति में सुधार होती है। इसके परिणामस्वरूप, मस्तिष्क की गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं और मनश्चंचलता कम होती है। यह ध्यान और मेधा को बढ़ाने में सहायक होता है।


स्वास्थ्य को बनाएं रखें: 

अश्विनी मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है और प्राणिक तंत्र की क्रियाएं सुधार होती हैं। यह शारीरिक और मानसिक रोगों के खतरे को कम करता है और स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाए रखता है।


अश्विनी मुद्रा को सही तरीके से अभ्यास करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:


नियमितता:

 अश्विनी मुद्रा को नियमित रूप से अभ्यास करना आवश्यक है। योगाभ्यास में नियमितता और स्थिरता महत्वपूर्ण हैं। दिन में कुछ मिनट अलग करके इसे करने का प्रयास करें।


शरीर की सुविधा: 

अश्विनी मुद्रा को बैठे हुए या लेटे हुए कर सकते हैं। आपको एक स्थिर और आरामदायक स्थिति में अभ्यास करना चाहिए। यदि आप बैठे हैं, तो एक योगासन कुर्सी या आसन पर बैठकर भी इसे कर सकते हैं।


शांति और ध्यान: 

अश्विनी मुद्रा को करते समय आपको मन को शांत और स्थिर रखने का प्रयास करना चाहिए। अपने श्वास की गहराई और लंबाई को ध्यान में लाएं और मन को एकाग्र करें।


संकेतों की प्राथमिकता: 

अश्विनी मुद्रा के दौरान आपको शरीर के किसी भाग में किसी भी दर्द, असामान्य संवेदना या अस्वस्थता की सूचना मिले तो तुरंत अभ्यास को रोकें और एक योगशिक्षक से परामर्श लें।


सतर्कता: 

अश्विनी मुद्रा के दौरान सतर्कता बनाए रखें-


अवधारणा का स्वीकार करें: 

अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप इसकी अवधारणा का स्वीकार करें। आपको अपने आवश्यकताओं और साधनों के बारे में समझना चाहिए और अश्विनी मुद्रा के माध्यम से कैसे इनका प्रभाव बढ़ा सकते हैं, इसकी समझ होनी चाहिए।


संपूर्ण विश्राम:

अश्विनी मुद्रा को करते समय, आपको संपूर्ण विश्राम देना चाहिए। इसका मतलब है कि आपको अपने विचारों को शांत करना होगा, कोई भी अवधारणा और तनाव को दूर करना होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि आपका अभ्यास प्रभावी होगा।




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Ashok Kumar

हैलो दोस्तों, मेरा नाम अशोक कुमार है। मैं www.aushadhiauryog.com का फाउंडर हूं। मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले से हूं। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा आपने होम टाउन से ग्रहण की और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद ब्लॉगिंग में करियर की शुरुआत सन 2015 से की है। साथ ही साथ मैं यूट्यूब पर भी विडियोज बनाता हूं। मुझे आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान आप सभी के साथ शेयर करना बहुत पसंद है। कृपया आप सभी हमारे परिवार का हिस्सा बनें और औषधि और योग की धरोहर को आगे बढ़ाने में हमारा सहयोग करें। धन्यवाद।

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